:::::मै चाहता हूँ.....:::::
प्रतिमा अपनी ऐसी हो ,
जन-जन के हृदय पर राज हो !
मन हो जैसे निर्मल पावन ,
ना कपट कुटिल का वास हो !
ना हो कभी अनुचित कर्म ,
पथ सदैव सच्चाई का हो !
ना हो कलेजे मे द्वेष-अगन ,
शितल-निस्वार्थ का गृह बना हो !
मेरे दाता , मेरे रब सबको ,
अच्छे-बुरे का ज्ञान हो !
मै चाहता हू धरती पर ,
मनुजता का सदा ही अस्तित्व हो !
बुराई का करे सर्वनाश ,
इतना प्रबल यह मानव धर्म हो !
नारी शक्ती हो इतनी सशक्त ,
हर अत्याचार का संहार हो !
आज हो कल हो, हरपल-प्रतिपल हो ,
न्याय के समक्ष अन्याय के सदा ही झुके भाल हो !
ऑंच आए जब भी 'भारत मॉ' के ऑंचल पर ,
हर युवक 'शेर भगत सिंह' हो ,
हर तरुणी 'मर्दानी लक्ष्मीबाई' हो !
- विशाल आडबाल
9890300408