Friday 17 January 2020

:::::आत्मविश्वास:::::

:::::आत्मविश्वास:::::

बहुत अकेला था, किसी कंधे की जरुरत थी,
सोच रहा था चला जाऊ इस दुनिया से, बस एक फंदे की जरुरत थी |

पर तभी खयाल आया, विशाल तु तो आसानी से मर जायेगा,
पर तेरे जाने के बाद तेरा हर कोई चाहनेवाला क्या सुकून से जी पायेगा ?

सच तो यह भी है, हमारे परिवार के सिवा हमे और कोई नही चाहता,
खुन के आंसु तो अपने मा-बाप रोते है,
कोई और तो हमे जलाने के बाद आंखो से एक बुंद भी नही बहाता |

यह गलत कदम उठानेसे पहले मा बाप का हसता चेहरा मुझे नजर आ रहा था,
अगर मै अपने आप को कुछ करलू तो क्या होगा इस हंसी का? मेरा दिल मुझसे पुछे जा रहा था |

मै दुनिया से हारा था |
हालातों का मारा था |
मै तो दे देता अपनी जान, पर मेरे मा बाप का क्या ?,
मै ही तो अकेला उनका सहारा था |

फिर हिम्मत करके मैने अपनी सारी बाते घरवालों को बता दी,
और उनके विश्वास ने मुझमे हालातोंसे लडने की एक नयी उम्मीद सी जगा दी |

फिर सोच लिया बस अब और नही ,
डरकर इन हालातोंसे मै मर जाऊ, इतना भी मै कमजोर नही |

दुनिया गयी भाड मे, अब परिवार के लिये जीऊंगा,
बहुत भाग लिया हालातोंसे, अब उनसे बेखौफ लडुंगा |

मिटाने चला था वजूद खुद का, अब खुद की नयी पहचान बनाउंगा |
और खुदखुशी करेगी मेरे रास्ते मे आनेवाली सारी मुश्किले,
खुदको इस काबिल बनाकर रहुंगा  |

- विशाल आडबाल 
9890300408 

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