Sunday 1 April 2018

:::::मा-बाप:::::

:::::मा-बाप:::::

बहुत ठोकरे लगती है,
नाकामयाब होनेपर !
कौन अपना-कौन पराया?
ये पता चलता है बुरे समयपर !

मा-बाप ही देते है साथ,
सब हमे छोड जानेपर !
होता है विश्वास उन्हे,
ये करेगा जीत हासिल अपनी नाकामयाबीपर !

कोई नही होता किसीका,
सब जीते है स्वार्थपर !
दोस्ती भी हो तो निस्वार्थ,
ना हो सिर्फ मतलबपर !

मा-बाप ही देते है आशा,
हिम्मत हम हारनेपर !
दिखाते है सही दिशा,
जिंदगी मे हम भटक जानेपर !

नहि हो सकती किमत,
मा की ममता की,
और बाप की क्षमता की !
समझ आती है किमत उनकी,
वे इस दुनिया मे ना होनेपर !

-विशाल आडबाल
  9890300408

1 comment:

गीत

:::::ही पोरी::::: छम छम छम छम चालतीया  गुलु गुलु गुलु गुलु बोलतीया  ही पोरी..... ही पोरी..... नजरेन घायाळ करतीया  *तो* - पिंपळाच्या पानावरती...