:::::मा-बाप:::::
बहुत ठोकरे लगती है,
नाकामयाब होनेपर !
कौन अपना-कौन पराया?
ये पता चलता है बुरे समयपर !
मा-बाप ही देते है साथ,
सब हमे छोड जानेपर !
होता है विश्वास उन्हे,
ये करेगा जीत हासिल अपनी नाकामयाबीपर !
कोई नही होता किसीका,
सब जीते है स्वार्थपर !
दोस्ती भी हो तो निस्वार्थ,
ना हो सिर्फ मतलबपर !
मा-बाप ही देते है आशा,
हिम्मत हम हारनेपर !
दिखाते है सही दिशा,
जिंदगी मे हम भटक जानेपर !
नहि हो सकती किमत,
मा की ममता की,
और बाप की क्षमता की !
समझ आती है किमत उनकी,
वे इस दुनिया मे ना होनेपर !
-विशाल आडबाल
9890300408
Wah chhan ati sundar
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