:::::ऐ दोस्त:::::
कितनी दफा कहूँ तुझको,
ऐ दोस्त हो गई गलती !
अब तो कर दे माफ,
माना की जुबान कडवी है
पर दिल है मेरा साफ !
कह देता हू मैं,
जो भी लगता है सही या गलत !
हा, थोडा सरफिरा हू,
पर कभी ना रखा मन मे कपट !
अगर साफ-साफ बोलना गुनाह है,
तो बता दो छोड दुंगा मैं !
मेरे 'तीर-ए-अल्फाज' को,
जुबान की कमान पर ही तोड दुंगा मैं !
कुछ पलों का साथ है हमारा,
इस चार दिन की जिंदगी मे !
क्यु इसे व्यर्थ करना,
दो दिन की रुसवाई मे !
मेरे अहंकार से ज्यादा,
मुझे तेरी दोस्ती प्यारी है !
यह तो सब जानते है की
'शोले' मे जय ने विरु के लिये अपनी जान हारी है !
अंत मे बस यही कहुंगा,
मेरे ऐसे गलत बरताव के लिये,
तहे दिल से है मुझे शरमिंदगी !
यह तो तुम भी जानते हो यार,
की दोस्तो मे ही है जिंदगी !!
-विशाल आडबाल
9890300408
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