:::::जीद:::::
जीद है मेरी एक दिन तुझे पाऊंगा !
चाहे जितना गुरूर कर ले अपनी उंचाई का,
मेरे कदमों मे तुझे जरूर झुकाऊंगा !
नाकामयाबी मेरी तो बहुत देख ली तुने,
अब जुनून का तुफान भी देखेगी !
तेरे सीनेपर चढकर पुरा होता,
मेरा हर अरमान भी देखेगी !
बहुत हस रही है ना तू मेरी हारपर,
पर सुनले, मैं हारा तो हूँ पर रुका नही हूँ,
तेरे सफर से मैं अभी थका नही हूँ,
बहुत कोशिश करली तुने पर अफसोस मैं अभी झुका नही हूँ !
जितनी बार भी गिरा हूँ,
उठकर दौडना सिखा है !
वस्त्र ये आलस्य का,
अब मैने उतार फेंका है !
खुदको जला रहा हूँ त्याग की आग मे,
क्युकी जाना है मैने की तुझे पाने का बस यही एक तरीका है !
करले साजिश जितनी,
कोशिश मेरी जारी है !
खुदको तो जीत लिया है मैने,
अब तेरी बारी है !
तू मगन रह तेरी गुरूर की शान मे,
तुझे हराने के लिये तो काफी मेरा जुनून और मेहनती सारी है !
ऐ मंजिल, कर ले चाहे जितनी कोशिश मुझे हराने की,
तेरी औकात तुझे दिखाऊंगा !
जब चमकुंगा सितारा कामयाबी का बनकर,
वो रात भी तुझे दिखाऊंगा !
-विशाल आडबाल
9890300408
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