Monday 28 May 2018

:::::उलझन:::::

:::::उलझन:::::

तेरा दिल - मेरा दिल
इन दिलों की उलझनों मे उलझा हूँ मैं !
इन उलझनों को सुलझाने मे,
तुझे मेरे दिल की बात कहना ही भुला हूँ मैं !

तेरे दिल मे खुदको ढुंढना है मुझे,
कहाँ खोया हूँ, बस यह ही जानना है मुझे !

जिस दिन ना दिखे तू,
दिल मेरा तडपता है !
तुझे एक बार देखने के लिये,
यह पागल मारा - मारा फिरता है !

कैसे कहूँ मैं,
तुझे अपना बनाने के लिये,
दिल मेरा कितना चाहता है  !
तेरा मुझे देखके भी अनदेखा करना,
मुझे कितना रुलाता है !

बता दे बस एक बार,
तेरे-मेरे दिल की यह उलझन कब सुलझेगी ?
और तेरे मोहब्बत के प्यासे इस दिवाने की प्यास कब बुझेगी ?

- विशाल आडबाल
   9890300408

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