Sunday 27 May 2018

:::::जुनून:::::

:::::जुनून:::::

यु ही चल रहा है सिलसिला मेरी जिंदगी का,
ना तो जी पा रहा हूँ, ना ही मर पा रहा हूँ,
बस हर पल, हर दम धोखे ही मिल रहे है !

शायद दस्तूर ही है ये दुनिया का,
मुझे हराने की साजिश मे वो खुद जिना भुल गये है !

इज्जत मे बेइज्जती करने मे तो माहीर है ये दुनिया,
कभी ना किये हुए गुनाहों का इल्जाम मुझपर लगा रहे है !

मुल्जिम भी न था कभी, इन्होने तो मुज्रिम करार कर दिया,
शायद मुझे नीचा दिखाने के लिये इन्हे बहाने न मिल रहे है !

बहुत सहा है दुनिया का सितम, पर अब नही,
क्युकी जुनून के मेरे जो बुझे दिये थे अब वो शोलो मे बदल रहे है !

मिन्नते करना तो दुर की बात है, किसी चीज की मांग भी न करुंगा,
मेरा जमीर, मेरे संस्कार मुझे खुद के दम पर जीना सिखा रहे है !

सुन लो ऐ दुनियावालो माना की जरा नादान हूँ,
मगर मेरा हौसला और मेरी शिद्दत मुझे जिताने मे दिन-रात एक कर रहे है !

चाहे लगालो जोर जितना, हिम्मत दिखादो अपनी,
पर मैं ना हार मानुंगा,
मेरी मंजिल-मेरे सपने मुझे बुला रहे है !

- विशाल आडबाल
   9890300408

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